सपनों को सहेजते हैं
अपनी आंखों में
अपनी उम्र का हिसाब रखते हुए लड़के .
अपनी आंखों में
अपनी उम्र का हिसाब रखते हुए लड़के .
खिलखिलाती हैं जब लड़कियाँ,
अपनी मुस्कान को दबाते हैं लड़के.
अपनी मुस्कान को दबाते हैं लड़के.
आईने के सामने घंटों
बतियाती हैं जब बहनें,
कभी रीझकर तो कभी खीझकर
मुक्का तानते हैं लड़के .
बतियाती हैं जब बहनें,
कभी रीझकर तो कभी खीझकर
मुक्का तानते हैं लड़के .
और जब किसी दिन
तिरछी चितवन से
देख लेती है कोई लड़की ,
अचानक कवि हो उठते हैं लड़के !
(शायद इसीलिए दुनिया में इतने सारे कवि हैं !)
-पूर्णिमा शर्मा
तिरछी चितवन से
देख लेती है कोई लड़की ,
अचानक कवि हो उठते हैं लड़के !
(शायद इसीलिए दुनिया में इतने सारे कवि हैं !)
-पूर्णिमा शर्मा